21.6.2019
सकरा मुजफ्फरपुर जिलान्तर्गत ढोली प्रखंड में है. यंहा रहते है सोहन लाल आजाद. फक्कङ संत कबीर. लाख समझाने के बाद भी वे न माने .जब बिहार भीषण लू की चपेट में था, सैकड़ों लोग काल के गाल में समा चुके थे ; तब ये 18 जून को साईकिल से हजारों किलोमीटर लम्बी शहीद यादगार यात्रा पर निकल पड़े. आज पटना पहुँचे , कुछ लोग उनके स्वागत में शहीद स्मारक के पास एकत्रित हुऐ थे.
इस यात्रा में वे सकरा से मुजफ्फरपुर, पटना,बनारस,इलाहाबाद, दिल्ली, अमृतसर,कटक, मिदनापुर, के साथ कई शहीद स्मारकों का दर्शन करेगें. कब लौटेगें उन्हें खुद पता नहीं. सन् 1992 से श्री आजाद एैसी यात्रायें कर रहे हैं. साईकिल के मध्य डंडे में राष्टृीय ध्वज होता है , पीछे सिमेंट की खाली बोरी में कुछ जरुरी सामान.
किसी शुभचिंतक ने साईकिल खरीदकर दे दी, किसी ने झंडा, तो किसी ने अपना ए॰ टी॰ एम॰ दे दिया है . श्री सोहन लाल आजाद जी के पास न कोई जमीन है, न आय का कोई अन्य साधन. इन्होंने विवाह भी नहीं किया है. चूँकि ये गरीब है, अति पीछड़ी जाति से है, इसलिए इनकी यात्रा कभी खबर नहीं बन सकी.
सकरा मुजफ्फरपुर जिलान्तर्गत ढोली प्रखंड में है. यंहा रहते है सोहन लाल आजाद. फक्कङ संत कबीर. लाख समझाने के बाद भी वे न माने .जब बिहार भीषण लू की चपेट में था, सैकड़ों लोग काल के गाल में समा चुके थे ; तब ये 18 जून को साईकिल से हजारों किलोमीटर लम्बी शहीद यादगार यात्रा पर निकल पड़े. आज पटना पहुँचे , कुछ लोग उनके स्वागत में शहीद स्मारक के पास एकत्रित हुऐ थे.
इस यात्रा में वे सकरा से मुजफ्फरपुर, पटना,बनारस,इलाहाबाद, दिल्ली, अमृतसर,कटक, मिदनापुर, के साथ कई शहीद स्मारकों का दर्शन करेगें. कब लौटेगें उन्हें खुद पता नहीं. सन् 1992 से श्री आजाद एैसी यात्रायें कर रहे हैं. साईकिल के मध्य डंडे में राष्टृीय ध्वज होता है , पीछे सिमेंट की खाली बोरी में कुछ जरुरी सामान.
किसी शुभचिंतक ने साईकिल खरीदकर दे दी, किसी ने झंडा, तो किसी ने अपना ए॰ टी॰ एम॰ दे दिया है . श्री सोहन लाल आजाद जी के पास न कोई जमीन है, न आय का कोई अन्य साधन. इन्होंने विवाह भी नहीं किया है. चूँकि ये गरीब है, अति पीछड़ी जाति से है, इसलिए इनकी यात्रा कभी खबर नहीं बन सकी.