बिहटा के सीताराम आश्रम ने कई विद्वानों को अपनी ओर आकर्षित किया . इन्ही में से एक थे वाल्टर हाउजर जो शिकागो विश्वविद्यालय में इतिहास के छात्र थे . 1957 में बिहार प्रदेश किसान सभा पर शोध प्रारंभ किया. इसके बाद इनका सीताराम आश्रम बिहटा और पटना लगातार आना-जाना होता रहा.
किसान नेता यदुनंदन शर्मा से मिले. शोध के दौरान इन्होंने डा0 राजेन्द्र प्रसाद, श्री कृष्ण सिंह ,के0 बी0 सहाय ,जयप्रकाश नारायण एवं कर्पूरी ठाकुर जैसे शिर्ष नेताओं का साक्षात्कार लिया . सन् 1961 मे इनका पी० एच० डी० का शोध आलेख पुरा हुआ. इसके बाद वे वर्जिनिया विश्वविद्यालय के दक्षीण एशियायी अध्ययन केन्द्र में इतिहास के प्रोफेसर बने.
बिहार से इनका लगाव कम नहीं हुआ बल्कि बढता गया. बिहार का किसान आन्दोलन उनका प्रिय विषय था. वे इससे जुङे अन्य विषयों पर शोधरत रहे. कई पुस्तकों की रचना की जो इस मील का पत्थर हैं.उनकी कुछ पुस्तकओं का विवरण निम्न प्रकार है.
Culture, Vernacular Politics, and the Peasants: India, 1889-1950: An Edited Translation of Swami Sahajanand`s Memoir
प्रो० हाउजर लगातार छः दशक तक अपने छात्रों को इस क्षेत्र मे शोध के लिये प्रेरित कर उनका मार्गदर्शन करते रहे हैं. उन्होंने ए0 यांग,विलियम पिंच, प्रो0 क्रिस्टोफर हिल और प्रो0 वेंडी सिंगर को बिहार विषयक शोध के लिये प्रेरित किया. इनमे से दो पुस्तको (My Life Stuggle और Culture, Vernacular Politics, and the Peasants: India, 1889-1950 ) में पटना के उनके शोध सहायक कैलाश चन्द्र झा भी सह लेखक है.
मैने पटना विश्विद्यालय से इतिहास में स्नातक की उपाधि प्राप्त की . किसान आन्दोलन मेरे पाठ्यक्रम मे शामिल था. मै प्राय: सभी कक्षाओं में उपस्थित भी रहा . विद्वान प्रोफेसरों का सानिध्य मिला. पर आज मुझे दुःख इस बात का है कि किसी ने मुझे प्रो0 हाउजर, उनकी किताबों या सीताराम आश्रम के बारे में कुछ नहीं बताया.
क्रमशः ...........
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें