मंगलवार, 22 अक्तूबर 2019

किताब-ए-बिहार(बिहार से जुड़ी किताबों की महफिल)-1


नीलोतप्ल मृणाल संग्रामपुर मुँगेर के रहने वाले है. 2012-13 मे दिल्ली के मुखर्जी नगर में आई0 ए0 एस0 की तैयारी करने गये.  आई0 ए0 एस0 तो नही बन सके परन्तु वापस लौटे तो साहित्य अकादमी पुरस्कार के साथ. वर्ष 2015 मे मुखर्जी नगर और हिंदी-पट्टी के अभ्यार्थियों को केन्द्र में रखकर "डार्क हार्स" ऩामक उपन्यास लिखा जिसे खूब पढा जा रहा है . वर्ष 2016 मे साहित्य अकादमी  युवा साहित्यकार पुरस्कार मिला.    


            
 उपन्यास का कथा विन्यास भागलपुर से प्रारंभ होकर दिल्ली के मुखर्जी नगर में विस्तार पाता है. १२० पन्ने के उपन्यास में मुखर्जी नगर के शरीर से बिहार की आत्मा लगातार झाँकती रहती है. भाषा पर पटना की बोली हावी है. सहज भाषा और संवाद इसे रोचक बनाता है. पात्रों का कम होना पाठक को कथानक के साथ चलने में सुगम बनाता है, कुल 10-12 किरदार में से 8 आई0 ए0 एस0 के अभ्यार्थी ही है. कथा में जिग्यासा सिर्फ पात्रों की सफलता-असफलता को लेकर होती है.
       मैंने सुना था कि राही मासूम रजाँ के उपन्यास " आधा गाँव" को साहित्य अकादमी पुरस्कार इसलिए नहीं मिला क्योंकि उसमें गालियाँ अधिक थी. परन्तु  "डार्क हार्स" में "झाँट " " भकलंड" "बकचोदी" जैसे शब्दो का धड़ल्ले से प्रयोग हुआ है .अकादमी की यह स्वीकार्यता मन मे संशय पैदा करता है, "आधा गाँव" और "काशी का अस्सी" जैसे उपन्यासों को अकादमी पुरस्कार नही मिलने पर. उपन्यास ख़ूब बिक रहा है , कई संस्करण निकल चुके है.
     पुस्तक की भूमिका के बाद पाँच लोगों की टिप्पणी है, पाँच मे से चार टिप्पणीकार आई0 ए0 एस0 है.जिसे देखकर लगता है कि लेखक उस 'भौकाल' से मुक्त नहीं हो सके है जिसे खंडित करने के लिये यह रचना की गई है. 

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