11 अप्रैल 2001
अप्रैल की सुहानी सुबह के साथ प्रशिक्षण की एक और नए दिन की शुरुआत हुई.
सुबह कुछ परिक्ष्यमान पदाधिकारी चाय की चुस्कियां के साथ अखबार पढ़ रहे थे,
कुछ
लॉन टेनिस तो कुछ योगाभ्यास में लीन थे.
सुबह के नाश्ते के बाद सभी पदाधिकारी गण
व्याख्यान कक्ष की ओर प्रस्थान कर गये .
आज प्रथम व्याख्यान श्री ए. एन. सिन्हा महोदय
" सुनिश्चित रोजगार योजना" विषय पर था.
इस योजना के लक्ष्य, उद्देश्य कार्य-योजना,
संगठन, कार्यान्वयन, पंजीकरण, मजदूरी का भुगतान, निरीक्षण एवं सतर्कता से संबंधित
विविध पहलुओं पर प्रकाश डाला गया.
व्याख्यान के दौरान श्री सिन्हा ने प्रसंगवश
अपने व्यवहारिक अनुभव के संदर्भों से प्रशिक्षुओं को लाभान्वित किया.
चाय अंतराल के बाद दूसरा व्याख्यान श्री एके घोष
महोदय का था. श्री घोष ने "बिहार वित्त नियमावली" एवं 'कोषागार संहिता'
के नियमों की चर्चा करते हुए वित्त पर नियंत्रण के विषय में बताया.
तीसरा व्याख्या श्री वी. के. सहाय
महोदय का था, परंतु किसी कारणवश वे नहीं आ सके.
उनके स्थान पर श्री घोष ने ही
व्याख्यान दिया.
भोजन अवकाश में सभी पदाधिकारी छात्रावास की ओर लौट
चलें कड़ी धूप में किस गृष्म ऋतु के आगमन का अहसास हो रहा था.
सबो ने मेस में दोपहर
का भोजन ग्रहण किया. रोज की तरह आज भी भोजनावकाश के बाद
प्राय: फोन की घंटी लगातार
बजती रही और पदाधिकारी गण अपने इष्ट मित्रों संबंधियों माता पिता मंगेतर पत्नी आदि
से दूरभाष पर वार्तालाप करते रहे.
भोजन अवकाश के बाद पुनः पदाधिकारी गण 3:00 बजे प्रेक्षागृह में एकत्रित हुए जहां अतिथि व्याख्याता श्री आर.के. सिंह
महोदय का व्याख्यान होने वाला था.
आज का विषय था "झारखंड और बिहार में खनिजों
खान तथा इससे संबंधित कानून एवं नियमावली"
श्री सिंह 3:05 बजे आए और
उनका व्याख्यान प्रारंभ हुआ.
उन्होंने झारखंड और बिहार में पाए जाने वाले विविध खनिजो एवं उससे
मिलने वाली रॉयल्टी से संबंधित जानकारी दी.
इसके बाद उन्होंने लघु एवं दीर्घ खनिज
नियमावली के संदर्भ में बताया .
अंत में पदाधिकारी गण संबंधित विषय से तरह तरह के
प्रश्न पूछ कर अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया.
इसके बाद पदाधिकारी एवं समय सारणी
के अनुसार कंप्यूटर प्रशिक्षण पुस्तकालय अध्ययन
एवं विचार सभा के लिए सम्बंधित
कक्षों की ओर प्रस्थान कर गए.
इस तरह गोधूलि बेला में चाय की चुस्कियां के साथ एक
बार फिर पदाधिकारियों का
समागम छात्रावास प्रांगण के मैदान में इस संकल्प के साथ
हुआ
"चल पड़ो तो गर्द बनकर आसमानों पर दिखो,
और कहीं बैठो तो मील का पत्थर दिखो,
सिर्फ देखने के लिए दिखना कोई देखना नहीं,
आदमी हो तुम अगर तो आदमी बनकर दिखो."
दिवस पदाधिकारी
कक्ष संख्या-7
स्वर्ण-रेखा छात्रावास
श्री कृष्ण लोक प्रसाशन संस्थान
रांची
विस्मृति स्मृति साकार हो उठा
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