बिहारशरीफ में अभी आये हुए
मुझे कुछ ही दिन हुए हैं . शहर इसकी सड़को से मैं धीरे -धीरे वाकिफ हो रहा हूँ.
मुहल्लों चौक-चौरहों के नाम मेरे लिए नए हैं, ये सभी नाम स्वत: स्फूर्त विभिन्न
काल खंडों से जुड़े है जिस कारण इनमे एक अलग तरह का आकर्षण है.
भरावपर ,
महिषासुर- चौक
धनेश्वर-घाट
मुनीराम बाबा का अखाडा
गगन-दीवान
मेहरपर
सोंगरा स्कूल
कटरा
नवाब-रोड
कोनहासराय
मोगालकुंआ-चौकी
लहेरी
महलपर
खासगंज
सोहसराय,
सलेमपुर
सहोखर
सोहडीह
सिंगाराहट
अम्बेर
शेखना
इमादपुर
नई सराय
दायरा
बारादरी
खंदकपर
पुलपर
दरगाह-तीराहा
झींग-नगर
सालुगंज
बन-औलिया
मीर-दाद
छज्जू मोहल्ला
बंधू-बाज़ार
इतवारी-मोड़
आलमगंज
वैगनाबाद
कागजी-मोहल्ला
सकुनतगंज
गढ़पर
शेरपुर
कोलसुमनगर
जलालपुर
कमरुदिन्नगंज
पंडित-गली,
रामचन्द्रपुर
बबुरबन्ना
मोरा-तालाब
पहरपुरा
नीमगंज-चौकी
इन नामों के पीछे अपना
इतिहास है . इतना तो अनुमान लगाया ही जा सकता है की इस शहर का उदय तीसरी नगरीय
क्रांति के दौरान हुई. मध्य-काल में यह एक संपन्न शहर रहा होगा.
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