पूर्णिया डायरी-13 से आगे.....
पूर्णिया 1887 ईस्वी
पूर्णिया 1887 ईस्वी
डा० सांडर्स के अंतिम संस्कार के बाद फोर्ब्स दुखी मन से पूर्णिया अपने बंगले
पर लौट आया . अपने मित्र की आकस्मिक मृत्यु से वे विचलित था . मृत्यु के कारण को
जानने के लिए उनके नौकर को बुलवा भेजा . उसने बताया कि रात दस बजे एक गरीब नेटिव
डा० को बुलाने आया जिसका बेटा बिमार था. डा० उसके साथ गये और रात भर बीमार बच्चे
के साथ रहकर उसकी तीमारदारी की. वह हैजे से पीड़ित था. उस गरीब का बेटा तो बच गया
पर डा० सांडर्स हैजे की बलि चढ़ गए. डाक्टर ने हिपोक्रेतिस के नाम पर ली गई शपथ को
पूरा किया. आज पूर्णिया में चार सौ से अधिक डाक्टर है. पर मुझे नहीं लगता की इनमे
से कोई गरीब व्यक्ति की मदद उस तरह करता होगा जैसा डा० सांडर्स ने किया
क्रमशः.......
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