कल (२३/८/१०) सावन की आखिरी सोमवारी थी नवादा में भी इसे शिव भक्तो ने बड़ी धूम-धाम से मनाया, यूँ तो पुरे सावन महीने यहाँ बाबा वैद्नाथधाम जानेवाले यात्रियों का ताँता लगा रहता है. झारखण्ड और दक्षिणी बिहार के कांवरियों का देवघर जाने और आने का यह एक सुगम मार्ग है. गत एक माह से यहाँ की मुख्य सड़को पर केसरिया रंग के आवरण में कांवरियों से भरे गाडियों में को चौबीसों घंटे देखे जा सकते थे।
इस शहर में भक्ति की ऐसी लहर चलती है की , सभी भोजनालय एवं सामान्य फुटपाथी दुकानों पर भी खाने और नाश्ते के सामानों में लहसुन-प्याज का प्रयोग बंद कर दिया जाता है।
नवादा शहर की ह्रदय- स्थली साहेब कोठी में एक अति प्राचीन शिवालय अवस्थित है । यह मंदिर लगभग २५० वर्ष पुराना है यहाँ के पुजारी ने बताया की वे अपने परिवार के पांचवी पीढ़ी के है। उनके परिवार की पांचवी पीढ़ी एस मंदिर में पूजा करवा रही है । इस शिवालय में कई चीजे ऐसी है ; जो इसके और प्राचीन होने को स्थापित करती है । एस मंदिर का स्थापत्य आजकल के मंदिरों से बिलकुल अलग है । इसकी दीवारे २०-२५ इंच मोती है । आसपास के भू भाग से मंदिर का गर्भ-गृह ४-५ फीट नीची है । मंदिर में काले बैसाल्ट पत्थर की बनी कुछ मुर्तिया जो मध्यकाल या उससे पूर्व की है । यहाँ का शिव लिंग भी अद्भुत है। शिवलिंग पर शिव की मुखाकृति अंकित है।
मंदिर के पुजारी ने बड़े ही अच्छे ढंग से मंदिर और शिवलिंग को सजाया था। यदपि वह इसकी प्राचीनता से अनभिज्ञ था।
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