पुणे में रहकर मगही भाषा और साहित्य पर काम करते हुए अपने ब्लॉग के माध्यम से मगही का एक इनसाइक्लोपीडिया तैयार कर देना वह भी एक आई० आई०टी० के इंजिनियर द्वारा; यह कम आश्चर्य का विषय नहीं है.
नारायण प्रसाद जी से मेरी मुलाकात वर्ष २०१६ मे पटना में हुई थी जब उन्होंने मुझे अपनी पुस्तक " मोती के कंगना वाली " मुझे दी थी. यह कन्नड़ के पांच जासूसी उपन्यासों का मगही अनुवाद है. श्री नारायण दक्षिण एवं उत्तर भारत की क्षेत्रीय भाषाओं को जोड़ने वाले कड़ी हैं .
मगही से संबंधित निम्नांकित सात ब्लॉग श्री नारायण द्वारा संचालित हैं
यह सौभाग्य बिहार के किसी अन्य वर्नाकुलर को प्राप्त नहीं है कि किसी रचना का कन्नड़ तेलुगु या तमिल से सीधे उस भाषा में अनुवाद हुआ हो.
1.मगध की लोककथाएँ : संचयन http://magadh-ki-lok-kathayen.blogspot.com/
2.मगही भाषा एवं साहित्य http://magahi-sahitya.blogspot.com/
3.मगही उपन्यास - नरक सरग धरतीhttp://narak-sarag-dharti.blogspot.com/
४.फूल बहादुर - मगही के उपलब्ध पहिला उपन्यास
http://fool-bahadur.blogspot.com/
5.मगही-हिन्दी शब्दकोश
http://magahi-kosh.blogspot.com/
6.मगही धातुपाठ http://magahi-dhatupath.blogspot.com/
7.मगही व्याकरण http://magahi-vyakaran.blogspot.com/
इन से गुजरने के बाद यह महसूस होता है कि मगही भाषा और साहित्य का शायद ही कोई आयाम इसमें छुटा है . साहित्य का इतिहास, भाषा का विकास, व्याकरण का स्वरूप , लोककथा संचय, उपन्यास, कहानी कविता लघुकथा मगही के मानक रूप इत्यादि सब कुछ है इसमें.
श्री नारायण मगही के साथ हिंदी , रूसी, जर्मन, बंगला, उड़िया, मैथिली, भोजपुरी के अलावा कई भाषाओं और लिपियों के जानकर हैं. रूसी से मगही मे कुछ ऐसी रचनाओं का अनुवाद उन्होंने किया है जिसका अंग्रेज़ी मे भी अनुवाद नहीं हुआ है. यह सौभाग्य भी बिहार के किसी अन्य वर्नाकुलर को प्राप्त नहीं है .
रूसी भाषा साहित्य के कुछ अन्य महत्वपूर्ण रचनाओं का मगही में अनुवाद किया है
फ्योदोर दस्तयेव्स्की का उपन्यास अपराध एवम् दंड , कालापानी
मिखाइल लेरमन्तव कि उपन्यास आझकल के हीरो
निकोलाई वसिल्येविच गोगल का नाटक इंस्पेक्टर
अलिक्सांद्र पुश्किन का उपन्यास कप्तान की बिटिया
इन वृहत रचनाओं के अतिरिक्त रूस के प्रख्यात लेखकों की कहानियों का भी अनुवाद किया है जो ब्लॉग पर उपलब्ध है .
नारायण प्रसाद जी मूल रूप से डिहरा गांव के हैं, जो नालंदा जिला के रहुई प्रखंड में स्थित है. सलेमपुर मध्य विद्यालय से पढ़कर रहुई हाई स्कूल गये . नालंदा कालेज से इंटर करने के बाद आई० आई० टी० खड़गपुर से सिविल इंजिनियरिंग किया. भाषाओं से प्रारंभ से ही लगाव था. नौवीं कक्षा के दौरान ही बंगला पढ़ना सीखा.
आजीवन मगही सेवा का प्रण सा ले लिया है. निकट भविष्य में कुछ और रूसी साहित्य के अनुवाद की योजना है