वासुदेव प्रसाद केसरी उर्फ कल्लू पेंटर जहानाबाद के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने यहाँ गाड़ी पेंट करने की शुरुआत की.इनके साथ रामजी मिस्त्री ने डेंटिंग की शुरुआत की. ये जन्मजात कलाकार थे. राजकुमार उर्फ राजू जी ने इनके बारे में मुझे बताया. इन्हें ये अपना गुरू मानते हैं.
राजू जी अंतराष्र्टीय ख्याति प्राप्त चित्रकार है. श्री केसरी ने जीविका के लिये जहानाबाद बाज़ार मे "आधुनिक कला केन्द्र" खोला. कुछ दिनों बाद 1970 में कृष्णा खेतान ने "शिवशंकर चित्र मंदिर" सिनेमा हाल की शुरुआत की. तीन दशक तक यह इस शहर के का आकर्षण का केन्द्र बना रहा . यहाँ बाक्स आफिस की हिट फिल्में लगती, जिसका टिकट पा लेना बड़ी समस्या थी . लोग दूर-दूर से सिनेमा देखने आते. सिनेमा हाल खुलने के बाद खेतान जी श्री केसरी को बुलाकर ले आये. "आधुनिक कला केन्द्र" शिवशंकर चित्र मंदिर के पास आ गया. पहले पोस्टर से हीरो-हिरोईन के चित्र को काट पैनल पर लगाकर नाम लिखा जाता था. केशरी जी ने पहली बार सिनेमा हाल में लगने वाले पोस्टर की परंपरा मे नया आयाम दिया 15फिट लंबाई और चौड़ाई के पैनल पर बड़ा पेंटिंग बनाया. उसके बाद 40 फुट गुणा 8 फुट के पैनल पर दो भाग में बनाकर इसे जोड़कर लगाया, जिसने हाल के साथ-साथ सिनेमा को भी भव्य बनाया . इसके बाद सिनेमा हाल में पोस्टर की जगह पेंटिंग लगाई जाने लगी. 1988 ई० मे 'आईना स्टूडिओ' खोला. सन् 1998 मे बड़े रंगीन पोस्टर छपकर आने लगे तब से पेंटिंग बनाने की परंपरा बंद हो गया. केसरी जी पेंटिंग ,स्थापत्य,फोटोग्राफी, वाहन पेंट , मूर्तिकला(पी० ओ० पी० )के उस्ताद थे, ज्ञान बाँटने मे विश्वास था.
राजू जी ने आगे बताया कि 1977 ई० मे जब इंदिरा गाँधी जहानाबाद आई थी तो उनका जहाज खराब हो गया . डैना किसी पक्षी से टकराकर क्षतिग्रस्त हो गया था. दिल्ली या पटना से इंजीनियर बुलाने की तैयारी हो रही थी. पायलट ने एक स्थानिय दो-भाषिये को अँग्रेजी में समस्या बताई, तब रामजी मिस्त्री और वासुदेव मिस्त्री ने मिलकर बैल के सिंघ से ठोककर डैने को ठीक किया और जहाज उड़ा. बैल के सिंघ की विशेषता है कि इससे ठोकने पर दाग नहीं आता है.
"आधुनिक कला केन्द्र" धीरे-धीरे शहर की पहचान बन गई. राजू जी ने भी कलाकार बनने की पहली तालिम यहीं से पाई, फिर पटना आर्ट कालेज गये. यहाँ हिट फिल्मों की टिकट के लोग पैरवी करते. जय माँ संतोषी फिल्म देखने के लिये इतने लोग आते थे कि इन्हें अपनी दूकान बंद करनी पड़ी. पाँच शो चलने के बाद भी लोग सुबह से बैलगाड़ी से आकर बैठे रहते. कृष्णा खेतान शौकिन आदमी थे. शिव शंकर चित्र मंदिर में लगे दो फिल्में "जुगनू" और "पूरब और पश्चिम" का हैंडबिल पूरे इलाके में हेलिकाप्टर से गिराये गये. सन् 77-78 में नरगिस एवं जाहिदा जहानाबाद आईं थी तो कृष्णा खेतान के घर ही गई थी.
राजू जी ने बताया कि सुभाष घई 70' के दशक में जहानाबाद आये थे 10-15 दिनों तक सिढीया घाट पाठकटोली मे मदन बाबू के घर रहे थे. मदन बाबू कलाकार थे उन्होंने एक फिल्म "Murder in circus" में सुजीत कुमार के साथ काम किया था.
राजू जी अद्भुत कलाकार हैं .
गौतम बुद्ध उनके पेंटिंग का पसंदिदा विषय है.
चाकू से पेंटिंग करना कला के क्षेत्र में बिल्कुल नया प्रयोग है जिसका श्रेय इन्हीं को जाता है. उपर के पेंटिंग को देखकर इनकी कला के ऊँचाई का सहज अनुमान लगाया जा सकता है. कला श्री संस्था इन्होने 80' के दशक में अपने कला को जन सामान्य तक पहुचने के लिए बनाई. लोग बताते है की उस समय बहु-बेटियों को घर से निकलना इतना आसन नहीं था , पर इस संस्थान की उपलब्धि है की वे यंहा आकर नियमित सिखने लगी.
वाणावर महोत्सव 2014 के अवसर पर मैंने इनसे बराबर गुफाओं के इतिहास पर तीन पेंटिंग बनाने का अनुरोध किया
वे सहर्ष तैयार हो गये. इसकी थीम और पृष्ठभूमि मैने विस्तार से उन्हें बतायी पहला कृष्ण-वाणासुर संग्राम से, दूसरा गौतम बुद्ध द्वारा बराबर पहाड़ के शिर्ष पर से मगध का अवलोकन एवम
तीसरा राजा दशरथ द्वारा आजीवकों को गुफा दान से संबंधित था. इन पेंटिंग्स को वाणावर महोत्सव के अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री एवम अन्य मंत्रीगण को भेंट की गई.
गौतम बुद्ध उनके पेंटिंग का पसंदिदा विषय है.
चाकू से पेंटिंग करना कला के क्षेत्र में बिल्कुल नया प्रयोग है जिसका श्रेय इन्हीं को जाता है. उपर के पेंटिंग को देखकर इनकी कला के ऊँचाई का सहज अनुमान लगाया जा सकता है. कला श्री संस्था इन्होने 80' के दशक में अपने कला को जन सामान्य तक पहुचने के लिए बनाई. लोग बताते है की उस समय बहु-बेटियों को घर से निकलना इतना आसन नहीं था , पर इस संस्थान की उपलब्धि है की वे यंहा आकर नियमित सिखने लगी.
वाणावर महोत्सव 2014 के अवसर पर मैंने इनसे बराबर गुफाओं के इतिहास पर तीन पेंटिंग बनाने का अनुरोध किया
वे सहर्ष तैयार हो गये. इसकी थीम और पृष्ठभूमि मैने विस्तार से उन्हें बतायी पहला कृष्ण-वाणासुर संग्राम से, दूसरा गौतम बुद्ध द्वारा बराबर पहाड़ के शिर्ष पर से मगध का अवलोकन एवम
तीसरा राजा दशरथ द्वारा आजीवकों को गुफा दान से संबंधित था. इन पेंटिंग्स को वाणावर महोत्सव के अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री एवम अन्य मंत्रीगण को भेंट की गई.
राजू जी से श्री केसरी की चर्चा सुन मैंने उनसे मिलने की इच्छा प्रकट की, पर उन्होंने बताया की कुछ ही दिन पहले (2015 ई0 में) वे अनंत यात्रा पर प्रस्थान कर गये है.