बुधवार, 23 अक्तूबर 2019

वल्लमीचक डायरी

24.09.19 - वल्लमीचक (अनिसाबाद)  पटना की सीमा पर बसा एक गाँव था, जो अब पटना का एक मोहल्ला है जिसके अंदर कई उप-मोहल्ले हैं. यहां रहते है श्री घमंडी राम.आज घमंडी राम जी से उनके आवास पर मिला . कुछ लिख रहे थे. ये मगही-हिन्दी के प्रख्यात साहित्यकार है. इन्होंने अब तक कुल 26 पुस्तकों की रचना की है और 13-14 प्रकाशनाधीन हैं, कई पुस्तकों और पत्रिकाओं का भी संपादन किया है.



साहित्य की प्रायः सभी विद्याओं यथा कहानी, कविता, शब्दचित्र, एकांकी, लोकगीत, गीत, अभियानगीत, गजल, लघुकथा, संस्मरण, निबंध, प्रबंधकाव्य, महाकाव्य, इत्यादि में इनकी रचनायें है सिवाय उपन्यास के. कछ ख्याति प्राप्त पुस्तकें है-


माटी के मरम(मगही शब्दचित्र) 
       धरती के गीत (मगही लोकगीत संग्रह)
 स्वर के पँख (हिन्दी कविता संग्रह)
          ढाई आखर प्रेम का (हिन्दी निबंध संग्रह)
एकलव्य (मगही महाकाव्य)
          जिन्दगी अतुकान्त कविता (मगही संस्मरण)

नाम के उलट घमंडी बाबू की सादगी और शालिनता उनके प्रति मन मे आदर का भाव लाता है. पटना के बेनीबिगहा (बिक्रम) मे जन्मे श्री राम बिहार शिक्षा सेवा से वर्ष 2006 मे अवकाशप्राप्त हुए. इन्होने बताया कि वर्ग आठ से कवितायें लिख रहे है. इनकी  लिखी किताबें विभिन्न विश्वविद्यालयों के मगही भाषा एवं साहित्य विषय के पाठ्यक्रम में शामिल है.


नालंदा खुला विश्वविद्यालय (एम0 ए0)में शामिल पुस्तकें 
1. एकलव्य (प्रबंध काव्य)
2.कजरिया(कहानी-संग्रह) 
मगध विश्वविद्यालय(बी0 ए0) मे शामिल पुस्तके
1.खोंइचा के चाउर (निबंध-संग्रह)
2.माटी के सिंगार (शब्द-चित्र)
3.माटी के मर्म (शब्द-चित्र)

इनकी साहित्य साधना के लिये ग्रियर्सन पुरस्कार ,लोकभाषा साहित्यकार पुरस्कार एवं कृष्णमोहन स्मृति सम्मान सहित कई पुरस्कारो से सम्मानित किया गया है.



ऐसे व्यक्तित्व से मिलकर आज का दिन मेरे लिये यादगार रहेगा . उन्होने अपनी संस्मरणात्मक पुस्तक "जिन्दगी अतुकान्त कविता" जो हाल ही मे प्रकाशित हुई है, मुझे भेंट की.

1 टिप्पणी:

  1. Aadarniye Ghamandi babu ko pranam
    Maghi ke kavi, lekhak natakkaar, sahityakaar prtibha avam vyaktitv ke dhani, kaljayi pustko ke rachayita ko mera naman vandan.
    Iswer aapki umar labi kare, swath rahe, samaj me yogdan dete rahe... esi shubhkamna karta hun.

    जवाब देंहटाएं