सोमवार, 21 अक्तूबर 2019

बिहटा डायरी-4(प्रो0 हाउजर की अपराध-बोध से मुक्ति)

सीताराम आश्रम से प्रो0 हाउजर द्वारा भारत के किसी ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज को अपने साथ बिना सरकार की अनुमती के ले जाना विधि-विरूद्ध था. यह जानते हुए भी उन्होने ऐसा क्यों किया यह जाँच का विषय है. यदि आश्रम में दस्तावेज अच्छी स्थिती मे नहीं थे तो उन्हे इन दस्तावेजों को राज्य सरकार के अभिलेखागार में संरक्षित करवाने का प्रयास करना चाहिये था. यह एक तरह से ऐतिहासिक दसतावेजों की चोरी तो थी ही इतिहासकार के ethics के भी प्रतिकूल था. ऐसा कर उन्होने कई शोधार्थियों को, जो इन विषयों पर शोध कर रहे थे उन्हें इन दस्तावेजों से वंचित कर दिया. एक सार्वजनिक संपदा को निजी संपत्ती बना दिया.
      प्रो० हाउजर  संभवतः इस अपराध-बोध से ग्रस्त रहे. जीवन के अंतीम पङाव में उन्होंने इन दस्तावेजों को बिहार सरकार को लौटाने का निर्णय लिया. दिनांक 01.07.2018 को पटना  ए0 एन0 सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान आकर एक संक्षिप्त कार्यक्रम में इसे केन्द्र सरकार के मंत्री की उपस्थिती में बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री को लौटा दिया. कार्यक्रम में उनके शोध सहायक श्री कैलाश चंद्र झा ने कहा की प्रो0 हाउजर सी0 आई0 ए0 ऐजेंट नही थे. इस घटना के ग्यारह माह बाद 01 जून 2019 को 92 वर्ष की आयु उनकी मृत्यु हो गयी, मानो यह बोझ उनकी मुक्ति मार्ग में बाधक बन खड़ा था.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें