बुधवार, 30 सितंबर 2015

बिहारशरीफ डायरी (Biharsharif dayri)

बिहारशरीफ में अभी आये हुए मुझे कुछ ही दिन हुए हैं . शहर इसकी सड़को से मैं धीरे -धीरे वाकिफ हो रहा हूँ. मुहल्लों चौक-चौरहों के नाम मेरे लिए नए हैं, ये सभी नाम स्वत: स्फूर्त विभिन्न काल खंडों से जुड़े है जिस कारण इनमे एक अलग तरह का आकर्षण है.
   भरावपर ,
 महिषासुर- चौक
 धनेश्वर-घाट
 मुनीराम बाबा का अखाडा
 गगन-दीवान
 मेहरपर
 सोंगरा स्कूल
 कटरा
 नवाब-रोड
 कोनहासराय
 मोगालकुंआ-चौकी
 लहेरी
 महलपर
खासगंज
 सोहसराय,
सलेमपुर
 सहोखर
 सोहडीह
सिंगाराहट
 अम्बेर
 शेखना
 इमादपुर
 नई सराय
 दायरा
 बारादरी
 खंदकपर
 पुलपर
 दरगाह-तीराहा
 झींग-नगर
 सालुगंज
 बन-औलिया
 मीर-दाद
 छज्जू मोहल्ला
बंधू-बाज़ार
 इतवारी-मोड़
 आलमगंज
 वैगनाबाद
 कागजी-मोहल्ला
 सकुनतगंज
 गढ़पर
 शेरपुर
 कोलसुमनगर
 जलालपुर
 कमरुदिन्नगंज
 पंडित-गली,
 रामचन्द्रपुर
 बबुरबन्ना
मोरा-तालाब
 पहरपुरा
नीमगंज-चौकी

इन नामों के पीछे अपना इतिहास है . इतना तो अनुमान लगाया ही जा सकता है की इस शहर का उदय तीसरी नगरीय क्रांति के दौरान हुई. मध्य-काल में यह एक संपन्न शहर रहा होगा.       

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