मंगलवार, 2 अक्तूबर 2018

वाणावर डायरी-7 (बाबा सिद्धनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार /renovation of vanavar tample)

प्राचीन वाणावर सिद्धनाथ मंदिर का केवल गर्भ गृह और मंडप सुरक्षित है.
इस मंदिर की महंथी समीप के गाँव लोहगढ़ के एक परिवार (विश्वनाथ भारती) को बोधगया मठ से बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में मिली थी. उसी परिवार के श्री बम सिंह अभी वहां के महंथ है. भगवान पर चढ़ावे की राशि के साथ-साथ विभिन्न संस्कार एवं पूजा के लिए निर्धारित शुल्क के रूप मे जो राशि संग्रहित होती है वह महंत जी के पास जाता है. परंतु इनके द्वारा मंदिर के विकास और जीर्णोद्धार कार्य में कोई दिलचस्पी नहीं ली जाती,


यह बात शिव भक्तों को अखड़ती. तेल्हाड़ा एकंगरसराय और मसौढी के कुछ युवा उत्साही लोगों ने मिलकर "मंदिर जीर्णोद्धार एवं विकास समिति" का गठन किया. इसमें श्री सत्य प्रकाश (एकंगरसराय) श्री फौजदार साव, स्व० सिद्धेश्वर प्रसाद (तेल्हाड़ा), श्री रविशंकर (मसौढी) का नाम उल्लेखनी है, इन लोगों ने कई शिवभक्तों को एकत्रित कर इस समिति के तहत मंदिर के समीप एक दान शिविर स्थापित किया.
लोगों से प्राप्त दान से वर्ष 2002 में मंदिर के जीर्णोद्धार का का काम प्रारंभ हुआ जो सात-आठ वर्षों तक चला.
प्राचीन मंदिर के स्वरूप को बिना कोई छेड़छाड़ किए इसके चारे और बरामदे एवं गुंबद का निर्माण किया गया है. इस समिति ने इसके अलावा कई कार्य किए है जलापूर्ति व्यवस्था,यात्री-शेड,आर०ओ०पेयजल एवं धर्मशाला प्रमुख हैं.

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