सोमवार, 11 मई 2020

दरभंगा डायरी-5 (जॉन नाजरत, लाल चौक और रीगल )


सदन झा मिथिला से हैंसूरत स्थित सेंटर फॉर सोशल स्टडीज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं।‌ इन्होंने इतिहास की पढ़ाई की है। इनकी प्रकाशित पुस्तकों में 'हॉफ सेट चाय' (रजा पुस्तक माला और वाणी प्रकाशन), 'देवनागरी जगत की दॄश्य संस्कृति' (राजकमल प्रकाशन एवं रजा पुस्तक माला) तथा 'रेवरेंस रेसिस्टेंस एंड द पॉलिटिक्स ऑफ सिइंग द इंडियन नेशनल फ्लेग' (कैम्ब्रीज युनिवर्सिटी प्रेस) शामिल है। अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त इतिहासकार है. फिर भी हमारे मित्र हैं. रंग, इतिहास में रंग, और पलायन, इनके पसंदीदा विषय है. मिथिला और दरभंगा उन्हें बार-बार अपनी ओर बुलाता है ...
                  दरभंगा, लाल चौक, श्री कृष्ण सिंह, कामेश्वर महाराज ,जॉन नाजरत होता हुआ एक सूक्षम इतिहास जो उनकी पैनी नजर से नहीं बच सका . ये इतिहासकार की ही सधी हुई दृष्टि हो सकती है जो चीजों को इतने रोचक ढंग से प्रस्तुत कर सके.


मेरा दावा है की आपने इसे क्लिक किया तो पूरा देखे बिना नहीं रह सकते . 


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