सोमवार, 29 नवंबर 2021

नवादा डायरी-2 : गांधी इंटर स्कूल और राजकमल चौधरी


1870 ईस्वी में जब नवादा गया जिला के अनुमंडल प्रशासनिक इकाई का मुख्यालय बना तो यहां अंग्रेजी शिक्षा के लिए नवादा इंग्लिश हाई स्कूल की स्थापना हुई । 22 जून 1911 ईस्वी को इंग्लैंड के राजा जॉर्ज पंचम एवं रानी मेरी का राज्यारोहण हुआ तब इस विद्यालय का नाम जॉर्ज कारनेशन इंग्लिश हाई स्कूल रखा गया ।

इस विद्यालय के 141 वर्षों के इतिहास में कई सफों को अब तक नहीं पढ़ा गया है । आजादी के बाद इस विद्यालय का नाम महात्मा गांधी उच्च विद्यालय रख दिया गया जो अब सामान्यतः गांधी स्कूल के नाम से जाना जाता है । 


भारत जब आजादी की दहलीज पर खड़ा था तब मैथिली हिंदी और बांग्ला के प्रख्यात साहित्यकार राजकमल चौधरी इस विद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा में बैठ रहे थे । उन्होंने अपनी पहली रचना  (कविता) यहीं रहते हुए की थी, वे मूलतः सहरसा जिला के माहिषी गांव के थे ।





उनके पिता मधुसूदन चौधरी इस विद्यालय में प्रधानाध्यापक हुआ करते थे । राजकमल चौधरी की मां त्रिवेणी देवी का असामयिक निधन जब हुआ था तो राजकमल चौधरी की उम्र 10-12 वर्ष थी । उनके पिता ने उसके बाद दो शादियां की तीसरी पत्नी राजकमल चौधरी की हमउम्र थी । पिता को पुनर्विवाह के लिए राजकमल चौधरी ने कभी माफ नहीं किया यहां तक कि जब 1967 में उनकी मृत्यु हुई तो मुखाग्नि तक नहीं दिया।

 इस विद्यालय का भवन ऑग्ल-भारतीय शैली के स्थापत्य का नायाब नमूना है।


नवादा जिले में इस शैली के दो ही भवन थे । दूसरा अनुमंडल पदाधिकारी का आवास था , जिसके कारण इस इलाके का नाम 'साहब कोठी' है परंतु दुर्भाग्यवश अनुमंडल पदाधिकारी के नए आवासीय भवन बनाने के लिए पुरानी इमारत को ध्वस्त कर दिया गया ।

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