मंगलवार, 25 अक्तूबर 2022

बिहार फिल्म डायरी 1


 प्रख्यात साहित्यकार शैवाल की रचनाओं पर कई फिल्मों का निर्माण हो चुका है जिसमें 'दामुल' 'मृत्युदंड' और 'दास कैपिटल गुलामों की राजधानी' प्रमुख है. शैवाल बिहार के एक छोटे से अंचल घोसी को अपना कथा गुरु मानते हैं. उक्त सभी कहानियों और फिल्मों की पृष्ठभूमि बिहार है. वस्तुतः शैवाल ने ही प्रकाश झा को प्रकाश झा बनाया  'दामुल' प्रकाश झा की पहली फिल्म थी इसकी कहानी इतनी सशक्त है कि इसे राष्ट्रीय स्वर्ण कमल पुरस्कार मिला था, जिसने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई . 'मृत्युदंड' फिल्म की शूटिंग के बाद मुख्य नायिका माधुरी दीक्षित ने कहा था कि मैंने अपने जीवन में इस फिल्म की स्त्री चरित्र से बेहतर चरित्र का रोल अदा नहीं किया है. 'दास कैपिटल गुलामों की राजधानी' वर्ष 2020 में रिलीज हुई थी अभी हाल ही में फिल्म 'मट्टो की साइकिल' की समीक्षा लिखते हुए प्रख्यात फिल्म समीक्षक सुभाष केo झा ने इस फिल्म पर कुछ इस तरह की टिप्पणी की है

   "मट्टो की साइकिल ने मुझे दिवंगत छायाकार राजेन कोठारी के निर्देशन में बनी दास कैपिटल गुलामों की राजधानी की बहुत याद दिलाई। जाने-माने हिंदी लेखक शैवाल के लेखन के आधार पर, यह हमें सीधे बिहार के एक दूरदराज के शहर में एक सरकारी कार्यालय में ले जाता है जहां भ्रष्टाचार न केवल जीवन का एक तरीका है बल्कि अस्तित्व का एकमात्र साधन भी है। रिश्वतखोरी, कमीशन और अन्य अंडर-द-टेबल प्रथाओं का महिमामंडन किए बिना मानव अध: पतन का यह विश्वसनीय नाटक हमें मनहूस जीवन के दलदल में डाल देता है, जिनमें से कुछ जैसे यौन शोषित पत्नी (आयशा रजा) की लेखक शैवाल के कथा पात्र से पहचाने जाने योग्य व्यक्ति हैं। नायक पुरुषोत्तम राम को , एक वंचित व्यक्ति, जिसकी बढ़ती वित्तीय देनदारियां हैं, हर सरकारी कर्मचारी ने जीवन के एक तरीके के रूप में भ्रष्टाचार और रिश्वत स्वीकार कर लिया है। यह एक ईश्वरविहीन, मनहूस शहर है यहां जीवन यापन कर रहे गरीबों के लिए एक सतत संघर्ष है,  बीमार पड़ना एक विलासिता है जिसे पात्र बीमार कर सकते हैं। इसे बिहार के लोकेशन पर शूट किया गया, सिनेमैटोग्राफी का कार्य राजेन कोठारी ने नहीं बल्कि चंदन गोस्वामी द्वारा किया गया है, दास कैपिटल एक सामाजिक तालाबंदी में फंसे अपूरणीय पात्रों का एक निरा और अनगढ़ रूप है।

(सुभाष के झा के मूल आलेख का लिंक

 https://www.firstpost.com/entertainment/matto-ki-saikil-the-india-that-we-hardly-get-to-see-in-our-cinema-11241581.html )


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