गुरुवार, 21 मई 2015

औरंगाबाद डायरी (Aurangabad dayri)

शब्द के चितेरे’ मिथिलेश मधुकर द्वारा सम्पादित पुस्तक है. यह औरंगाबाद जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्वाधान मे वर्ष २००५ में प्रकाशित हुई है. यह पुस्तक  साहित्य के इतिहास और उसके विकास के लिए महत्वपूर्ण अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराती हैं. इसमें औरंगाबाद जिला प्रक्षेत्र के बीसवीं शताब्दी के साहित्यकारों का वर्णन है, इसके साथ कुछ साहित्यकारों के रचना का भी अंश भी है. इस में जिले के एक सौ पच्चिस साहित्यकारों का विवरण हैं. इस तरह के पुस्तक के प्रकाशन मे आर्थिक कठिनाई आती है. इस पुस्तक के प्रकाशन मे भी अमिताभ सिंह के विशेष आर्थिक सहयोग का उल्लेख है .
     औरंगाबाद मगध का उर्वर साहित्यिक क्षेत्र रहा है. कामता प्रसाद काम इसी जिले से थे. उनकी स्मृति में स्थापित ‘कामता सेवा केंद्र’ कभी देश भर के साहित्यकारों के मिलन का प्रमुख केंद्र था, जंहा उनकी पुण्य तिथि पर नियमित रूप से साहित्यिक आयोजन होते है.
  'शब्द के चितेरे' जैसा प्रयास अन्य जिलों मे भी होना चहिए. आज साहित्य,कला,समाजसेवा,राजनीति, इत्यादि क्षेत्रों में स्थनीय नायकों के पहचान का संकट गहराता जा रहा है. उनके अच्छे कामों को उनके जीवन काल के बाद विस्मृत कर दिया जाता है. प्रत्येक जिलों में इस तरह के नायकों के कृतियों को अभिलिखित किया जाना आवश्यक है.   

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