गुरुवार, 14 मई 2015

पूर्णिया डायरी (Purnea dayri)

डा० फ्रांसिस बुकानन ने १८०९-१८१० में पूर्णिया का व्यापक और विस्तृत सर्वेक्षण किया था. उस समय पूर्णिया जिले का विस्तार दार्जलिंग, नेपाल भागलपुर और कोशी की सीमओं तक था. बुकानन ने सम्पूर्ण क्षेत्र का भ्रमण टमटम , इक्का, पालकी, हाथी और पैदल तय किया था. आश्चर्यजनक रूप से इतने कम समय में यंहा  की भू-संपदा , सामजिक जीवन , व्यापर, कृषि , वन्य जीव जंतु एवं कई अन्य क्षेत्रों से सम्बंधित  आंकड़े एकत्रित किये जो इस्ट इंडिया कम्पनी के लिए उपयोगी थे . भारत के इतिहास में पहली बार आंकड़ो का इतना व्यापक और प्रमाणिक संकलन किया गया था. आंकड़ो का विश्लेषण कर वैज्ञानिक तरिके से किसी निष्कर्ष तक पंहुचने की परम्परा भी यंही से  शुरू होती दिखती है.
   बुकानन ने १८०७ से १८१४ तक बिहार  बंगाल और उत्तर-प्रदेश के कई जिलों का सर्वेक्षण किया. ये आज इतिहास का महत्वपूर्ण मौलिक स्त्रोत है. दुःख की बात यह है की कई जिलों का सर्वेक्षण प्रतिवेदन अब तक प्रकाशित नहीं हुआ है. यह इंडिया ऑफिस लाइब्रेरी लन्दन में बंद है. गंगा नदी की मछलियों का सबसे व्यापक सर्वेक्षण भी बुकानन ने किया था.
  एक मित्र ने एक आलेख जो उनके जीवन पर था , मुझसे माँगा तो उनकी याद आ गई.

2 टिप्‍पणियां:

  1. बुकानन के पूर्णिया जिले का रिपोर्ट अन्य जिलों जैसे गया, पटना और साहावाद की तरह ही प्रकाशित है हाँ पूर्णिया का इनका जर्नल अनुपलव्ध है. यह इण्डिया ऑफिस लाइब्रेरी (जो अब ब्रिटिश लाइब्रेरी का ही हिस्सा है ) में भी नहीं है. कुछेक बेहद रोचक दस्ताबेज वहाँ जरुर हैं बुकानन और उनके पूर्णिया दौरे के काल का.

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  2. पूर्णिया के सर्वेक्षण के पहले बुकानन ने १८०८-१८०९ मे रंगपुर का सर्वेक्षण किया था. सबसे अंत मे १८१३-१८१४ में गोरखपुर का. इन दोनों सर्वेक्षणों की पांडुलिपियाँ इंडिया ऑफिस लाइब्रेरी में है . जिनका अब तक प्रकाशन संभव नहीं हो सका है.

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