मंगलवार, 21 अगस्त 2018

नूरसराय डायरी(मिशन हरियाली,नूरसराय)

तैंतीस युवाओं का समूह कोई बैंकर ,कोई व्यापारी, कोई शिक्षक , कोई छात्र, कोई स्वतंत्र enterpnoyar तो कोई  अवकाशप्राप्त सरकारी सेवक. सोच एक , उदेश्य एक, हरित धरा बनाना .यह समूह जून २०१६ से अबतक दो वर्षों में लगभग दो लाख सत्तर हजार  पौधे  silently लगा चुका है. जिसकी उत्तरजीविता ९८% से अधिक है . वृक्षारोपण  से जुड़ी कोई भी सरकारी या गैर सरकारी संस्थान इतनी उतरजिविता का दावा नहीं कर सकती है . यह चमत्कार राज्य की राजधानी या अन्य किसी बड़े शहर में नहीं हुआ है . बल्कि नूरसराय से इसकी शुरुआत हुई जो नगर पंचायत भी नहीं बल्कि बिहार के एक  ब्लाक का मुख्यालय मात्र  है. इस समूह द्वारा किया जा रहा कार्य पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य कर रहे अध्येतायों के लिए अध्ययन और शोध का विषय है .
                                       इस समूह में अधिकांश युवा २५ से ३५ वर्ष के हैं जो कभी एकसाथ नूरसराय में बचपन बिताया साथ-साथ कबड्डी और  क्रिकेट खेला करते थे. नूरसराय बाज़ार से सुबह शाम उठते धुंए और दिन भर उडती धूल ने इन्हें पर्यावरण पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया, और फिर कारवां चल पड़ा. नाम रखा "मिशन हरियाली नूरसराय". समूह अपने उदेश्य से कभी न भटके इसके लिए सब ने अ-लिखित नियम बनाये.
      १. समूह के सभी सदस्य अपनी व्यक्तिगत कमाई में से प्रत्येक माह निर्धारित राशि जमा करेंगे.
       २.सरकार या किसी बहरी व्यक्ति संस्था से कोई धनराशि न मांगेगें न स्वीकार करेगें.
       ३.NGO या ट्रस्ट किसी भी रूप में संसथान का निबंधन नहीं करायेंगें .
       ४.राजनीति और राजनैतिक व्यक्तियों से दूर रहेंगें. 
        ५.धन-सहयोगी सदस्यों की संख्या सिमित रखेगें





इन्हीं  बाई-लॉज़ में मिशन हरियाली नूरसराय की सफलता का राज छिपा है . समूह के सदस्य जो उपलब्ध रहते है प्रत्येक दिन सुह सूर्योदय से पहले पर्यावरण संरक्षण के औजार खंती, बाल्टी, कुदाल, और कुछ शिशु पौधे लेकर निकलते हैं. नए पौधे लगाते हैं. लगे पौधे की निकाई-गुराई कर पानी डालते हैं.


             
जमा पैसे से हजारों की संख्या में अमरुद, आम , कटहल, महोगनी,शमी,जामुन,के शिशु-पौधे लाये जाते हैं. दल के सदस्य लगभग प्रत्येक दिन किसी विद्यालय या कोचिंग institute में जाकर वहां के छात्रों से रु-ब-रु होते हैं. उन्हें आंकड़ो के माध्यम से यह बताते हैं कि पेड़ो की बेतहाशा कटाई , बढ़ते प्रदुषण हमारे आस-पास हानिकारक गैैसों की मात्रा बढ़ा रही है. हम गैस चेम्बर में जीने को मजबूर हैं ,









चिंता का विस्तार बच्चो तक होता है. उन्हें ये बताते हैं कि पृथ्वी को बचाने का एकमात्र उपाय हमारे हाथ में यह है कि, हम ज्यादा से ज्यादा पौधे लगायें. इसके बाद उन्हें एक-एक पौधा निःशुल्क देकर इसे सुरक्षित बड़ा करने के लिए प्रेरित किया जाता है. उन्हें यह भी कहा जाता है कि यदि और पौधे लगाने की इच्छा हो तो नूरसराय मिशन हरियाली के कार्यालय में आकर ले सकते .  







जब तक मैं बिहारशरीफ तक था तब कभी-कभी छुट्टी के दिन दल के सदस्यों के साथ सुबह निकल पड़ता था. मिशन के एक सदस्य ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया की सरकारी स्कूल में शुरुआत में पर्यावरण-संवाद के बाद  बच्चों से पूछा जाता था कि  एक महिना के अंदर कोइ फल खाया है तो हाथ उठाओ. एक भी हाथ नहीं उठता , पर अब दो वर्ष बाद वही हाथ मिशन कार्यालय में अमरुद लेकर आते हैं. मिशन हरियाली नूरसराय के सदस्य अबतक 6 से अधिक  विद्यालयो एवम कोचिग मे जाकर पर्यावरण जागरूकता और पौधा वितरण का कार्य कर चुके है






इस प्रकार इस इलाके के ग्रामीण क्षेत्रों में एक पीढ़ी तैयार हो रही है जो पर्यावरण के प्रति संवेदनशील और प्रदुषण के प्रति जागरूक होगी .वरना पर्यावरण-चिंता तो खाए-पिए-अघाए शहरी लोगों का विषय था.इनकी प्रेरणा से हरित-हरनौत एवं मिशन हरियाली राजगीर जैसी संस्थाओं का भी गठन हुआ है.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें