शनिवार, 11 अगस्त 2018

धुरगाँव डायरी (dhurganw dyari / ekangarsrai-biharshrif, deepak anand)

दीपक जी से मेरी मुलाकात २०१६ की गर्मियों में हुई थी. नव नालंदा महाविहार के एक छोटे से कमरे में जंहा वे बैठकर श्वेनत्सांग पर कुछ शोधपरक काम कर रहे थे .  उनसे बात करके लगा कि मै २५०० वर्ष पूर्व के नालंदा में बैठा हूँ . भगवान बुद्ध यही आस पास आम्र वन में विचरण कर रहे हैं. फिर प्राचीन नालंदा महाविहार के छात्रावास होते हुए श्वेनत्सांग के साथ उन स्थानों पर गये जंहा भगवान बुद्ध गये थे. एक अध्यात्मिक यात्रा.
    मेरी यह धरना थी  कि  वे इतिहास के विद्यार्थी रहे है, और किसी विश्वविद्यालय में इतिहास के शिक्षक है . पर ऐसा नहीं था सैनिक स्कूल बलाचरी से मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद बैचलर आॅफ  इंजीनियरिंग  की डिग्री लेकऱ लौटे तो नौकरी करने की इच्छा  नहीं हुई . कुछ दिनों तक एन०जी०ओ० में . ग्रामीण विकास प्रक्षेत्र में काम किया  भटके हुए कई युवाओं को मुख्य धारा से जोडा . पर्यटन क्षेत्र में काम करते हुए नेपूरा (प्रखंड-सिलाओ जिला-नालंदा ) को भारत के पर्यटन नक़्शे पर लाया. इसी दौरान  वे नव नालंदा महाविहार के निदेशक के सम्पर्क में आये. यही इतिहास, बुद्ध , और श्वेनत्सांग से जुड़ाव हुआ .  ये जुड़ाव ऐसा हुआ कि २००६ से २००८ तक  श्वेनत्सांग के यात्रा वृतांत को ही पढ़ते रहे.
                                             अक्टूबर २००९ में  इसी सम्बन्ध में एक प्रेजेंटेशन नव नालंदा महाविहार की ओर से दीपक जी ने माननीय मुख्यमंत्री जी के समक्ष प्रस्तुत किया . इस प्रस्तुती से माननीय मुख्यमंत्री काफी प्रभावित हुए . दिसम्बर में जब वे राजगीर प्रवास पर अतिथिगृह पंहुचे तो उतरते ही कहा की मै तो दीपक जी के निमंत्रण पर राजगीर आया हूँ . डी० एम०, एस० पी0 के साथ तमाम अमला यह जानने को उत्सुक हो गया की ये दीपक जी कौन है .


         

इस प्रवास में दीपक जी ने मा० मुख्यमंत्री जी को वे तमाम स्थल दिखाए जो कम प्रसिद्ध थे.इस यात्रा कि एक बड़ी उपलब्धि यह रही की प्राचीन जेठियन-राजगृह मार्ग खोलने की दिशा में कार्य प्रारम्भ हो गया . यंहा दीपक जी के सौजन्य से नव नालंदा महाविहार के तत्वाधान में वर्ष २०१४ से २०१७ तक चार भव्य जेठियन  राजगृह धम्म्यात्रा का  आयोजन हुआ जिसमे विश्व के कई देशों के बौद्ध भिक्षुओं ने भाग लिया .










 इसके बाद दीपक जी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. कम समय में इतनी  बौद्धिक उपलब्धि  हैरत में डाल देता है . उनके कुछ कामों का विवरण इस प्रकार है
उनके ब्लॉग nalanda on move पर लगभग 263  आलेखों का प्रकाशन अबतक हुआ  है .




जिसे अबतक १५०००० लोगों ने देखा हैं.
                         दुसरे ब्लॉग Nālandā - Insatiable in Offering पर 253  शोधपरक आलेख है.





जिसे अबतक १८३००० लोगों ने देखा है .
                                           गूगल आर्ट एंड कल्चर पर श्वेनत्सांग  मेमोरियल हॉल का विवरण दिया.




जिसे इस लिंक पर देखा जा सकता है .https://artsandculture.google.com/partner/xuanzang-memorial-nava-nalanda-mahavihara
                     दो महत्वपूर्ण पुस्तकों की भी रचना की जिसके सम्पादक कोई और है , परतु सारा परिश्रम दीपक जी का है  -
पहली journay from bihar to bihar यह पुस्तक श्वेनत्सांग की यात्रा पर केन्द्रित है . इसी नाम से एक प्रदर्शनी भी  श्वेनत्सांग मेमोरियल हॉल में लगा है .इसे भी दीपक जी ने ही तैयार किया था.
दूसरी The pilgrimage legacy of Xuanzang .

                                                              २०१७ में दीपक जी ने मुझे बताया था कि वे दिल्ली जा रहे हैं . और चले गये मैंने जात्ते हुए उन्हें बेहतर भविष्य की शुभकामनाएं दी , पर अंतकरण से बड़ा दुखी था, कि एक और हीरा बिहार से निकल गया.  इधर एक सप्ताह पहले wapp पर दीपक जी का एक मैसेज आया कि वे बिहार लौट रहे है . मन प्रस्सन हो गया वे लौट आये है. आज उनसे मुलाकात हुई . दीपक जी ने बताया की वे अब बोधगया में रहकर काम करेंगे. उनका सबसे महत्वपूर्ण काम live museum of magadh हैं




जिसका लिंकhttp://www.livemuseumofmagadha.com/ है . मगध क्षेत्र के गांवो में बिखरी मूर्तियों का documentatio इस जीवंत संग्रहालय में किया गया है.उनके द्वारा बताया गया की मगध क्षेत्र के लगभग 350 गांवों का भ्रमण उन्होंने इस उदेश्य से किया हैं शेष का अब करेंगें. इस संग्रहालय में देश विदेश के विभिन्न सग्रहालयों में रखी magadh की मूर्तियों को भी प्रदर्शित किया गया है .
दीपक जी धुरगांव एकंगरासरय नालंदा के है  . मगध के इतिहास में ऐसे  रमे की विवाह भी नहीं किया.   एकदम फक्कड संत स्वभाव . .

1 टिप्पणी:

  1. Sir, I am humbled. I will try to come up to your expectations. And, I need not say, your knowledge about Bihar's past is inspiring. Will request you to write more often and keep enlightening us.

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