गुरुवार, 20 सितंबर 2018

पूर्णिया डायरी-8 अबू तालिब, मिसेज डूकारेल, मैं और पूर्णिया (AbuTalib,Mrs Ducarel,Purnia and Me)


वर्ष 2007 में मेरी मुलाकात अबू तालिब से हुई . मुलाकात चार्ल्स स्टूअर्ट ने करवायी जगह थी खुदा बक्श खाँ ओरिएन्टल लाइब्रेरी . फिर अबू तालिब मुझे लंदन ले गये.

वहाँ उन्होंने मेरी मुलाकात मिसेज डुकारेल से करवायी. अबू तालिब ने ही मुझे बताया कि गेरार्ड गुस्टावस डुकारेल ने पूर्णिया की एक हिन्दू विधवा  जो सती होने जा रही थी को, पति की चिता पर से उतारकर उसे मिसेज डूकारेल बनाया. ऐसी fascinating story ने मुझे कहानी लिखने को बाध्य कर दिया . मैने अपनी पहली कहानी "यह पत्र माँ को एक साल बाद मिलेगा" लिखी. यह कहानी मैंने प्रो०रामेश्वर प्रसाद को भी बताया, जो उन दिनों बिहार सरकार के अनुरोध पर पूर्णिया जिले की स्थापना-तिथि पर शोधरत थे. उन्हें तो सहसा विश्वास न हुआ , पर जब मैंने प्रमाण भेजा तो मुझे धन्यवाद और बधाई दी.कहानी उन्होंने अपने शिष्यवत एक अँग्रेजी अखबार के स्थानीय  संवाददाता आदित्य नाथ झा को बताया, जो रोज उनके पास आते थे. श्री झा उन एक दो लोगों मे से थे जिन्हें प्रत्येक दिन प्रो० साहब से मिलने कि इजाजत थी. अगले दिन यह खबर " हिन्दुस्तान टाइम्स " की सुर्खियों में था.
इस खबर ने पूर्णिया के आम-जन के मन-मस्तिष्क को झंकृत कर दिया. बाद मे प्रो० साहब ने मुझे बताया था कि अखबार के संपादक जो क्रिश्चन हैं, ने इस खबर की कतरन अपने टेबुल पर शीशे के नीचे लगा रखी है.
                             पर्सियन-तुर्की उद्भव के मिर्जा अबू तालिब खानम इस्फानी का जन्म लखनऊ  मे हुआ था. उनके पिता अवध के नबाब कि सेवा में उच्च पद पर थे. अवध के पतन के बाद अबू तालिब कलकत्ता चले आये. प्रशासनिक दक्षता के बावजूद इस्ट इंडिया कंपनी शासन में कोई अच्छा ओहदा न मिल सका.तब अपने अंग्रेज मित्र captain Devid Richerson के इंगलैण्ड चलने के प्रस्ताव को स्वीकार कर उनके साथ निकल पड़े. 1799 से 1803 तक अफ्रिका, इंगलैण्ड और पशिचम एशिया की यात्रा कर भारत लौटे. फारसी में अपना यात्रा-वृतांत लिखा "मसिर-ऐ-तालिबी-फी-बिलाद-ए-इफरानी".
इसका अँग्रेजी अनुवाद हेलबरी कालेज के फारसी के प्रो० चार्ल्स  स्टुअर्ट ने किया था. अबू तालिब लंदन में दो ऐसी भारतीय महिलाओं से मिले जिन्हे भारत आये अँग्रेज विवाह कर 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में अपने साथ इंगलैण्ड ले गये थे. इनमें से एक पूर्णिया के पहले अँग्रेज सुपरवाईजर गेरार्ड गुस्टावस डूकारेल की पत्नी मिसेज डुकारेल थी. दूसरी फ्रेंच  तंख़्वाहदार(Mercenary)जेनरल वेव्हाईट डी ब्याइ्ज्म की पत्नी नूर बेगम उर्फ हालिम बेगम थी जो लखनऊ से थी.

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