मंगलवार, 25 सितंबर 2018

साहेबगंज डायरी(District Gazetteer)

बात 2001 की है मैं साहबगंज जिले(झारखण्ड) मे पहली बार गया था .यहाँ मैने दो वर्ष बिताये . किसी ने मुझे बताया था कि नयी जगह को जानने का सबसे अच्छा साधन वहाँ का जिला गजेटियर होता है, उसे एक बार जरूर पढ लेना चाहिये. साहबगंज पहुँचते ही मै इसकी तलाश में लग गया.शहर की सभी लाईब्रेरियाँ छान मारी पर नहीं मिली कुछ लाईब्रेरियन इसका नाम पहली बार सुन रहे थे. कहीं से मुझे जानकारी मिली की अमुक वकील साहब के यहाँ संथाल परगना का जिला गजेटियर है. वे शहर के नामी वकील थे . एक दिन शाम में उनका घर खोजता हुआ पहुँच गया. वकील साहब बड़े गर्मजोशी से मिले चाय पिलायी, पर गजेटियर नही दिया ; देने का आश्वासन जरूर दिया. बताया कि कलक्टर साहब के पास है. उनके घर और कचहरी के कई चक्कर मैने लगाये पर जिला गजेटियर का दर्शन न हो सका. बाद में पता चला कि वकील साहब केवल कलक्टर, एस०पी०, और जिला जज को जिला गजेटियर पढने के लिए देते है, ये उनसे नजदीकी बढाने का उनका का औजार है .
   तब मैं इसकी तलाश पटना मे करने लगा. काफी मशक़्क़त के बाद यह मुझे मिली . मैने इसे वकील साहब को दिखाया तो वे हतप्रभ रह गये; मानो जिला गजेटियर पर से उनका एकाधिकार समाप्त हो गया हो. उन्होंने मुझे नसीहत दी कि यह बड़ी दुर्लभ पुस्तक है , हर किसी एैरे-गैरे को न दूँ ,पत्रकार को तो बिल्कुल ही नहीं .
 इसके बाद मैं कई जिलों मे रहा राँची, पूर्णिया, कटिहार,सिवान,औरंगाबाद,नवादा,जहानाबाद,नालंदा, प्रायः सभी जिलों मे जिला गजेटियर दुर्लभ पुस्तक रही है.
        परन्तु राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के प्रयास से अब यह दुर्लभ नहीं रही. विभाग ने इसे अपने वेबसाइट पर डालकर सबके लिये सुलभ कर दिया है.इसका लिंक है.http://lrc.bih.nic.in/Gazetteer/Gazetteer.aspx
                             19वीं शताब्दी की शुरूआत मे बंगाल के जिलों का  गजेटियर तैयार करने का दायित्व L S S O'malley को दिया गया था . आजादी के बाद  बिहार सरकार ने इसका संशोधित संस्करण निकला जिसका संपादन पी०सी०रायचौधरी ने किया था. यही संस्करण बेबसाईट पर उपलब्ध है. इसमें  बिहार के पुराने 11 जिले  भागलपुर,चंपारण, दरभंगा,गया,मुँगेर,मुजफ्फरपुर,पटना,पूर्णिया, शाहाबाद, सहरसा शामिल हैं.

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